राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवम् वर्तमान प्रासंगिकता में विशेष भूमिका

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साक्षी मेहता, सुनीता खोरवाल

Abstract

शिक्षा किसी भी राष्ट्र की प्रगति और विकास का मूल आधार है। यह केवल ज्ञान का हस्तांतरण नहीं करती, बल्कि व्यक्ति को सामाजिक, नैतिक और व्यावसायिक रूप से सक्षम बनाती है। भारत में शिक्षा की भूमिका सदियों से समाज-निर्माण, संस्कृति-संरक्षण और राष्ट्र-निर्माण में केंद्रीय रही है। वैश्विक प्रतिस्पर्धा और तकनीकी युग की चुनौतियों को देखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2020 में एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) प्रस्तुत की, जिसका उद्देश्य शिक्षा को समावेशी, सुलभ, लचीला, बहुविषयक और कौशल-आधारित बनाना है। यह नीति शिक्षा को केवल अकादमिक सफलता तक सीमित न रखकर उसे जीवनोपयोगी और रोजगारपरक बनाने का प्रयास करती है। इसमें 5+3+3+4 संरचना, मातृभाषा में शिक्षा, कौशल और उद्यमिता पर बल, डिजिटल शिक्षा और अनुसंधान-नवाचार को प्रोत्साहन जैसी विशेषताएँ शामिल हैं। वर्तमान समय में कई राज्यों में NEP का आंशिक/पूर्ण क्रियान्वयन प्रारंभ हो चुका है तथा SWAYAM और DIKSHA जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म शिक्षा के विस्तार में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। साथ ही, 2023 में स्थापित डिजिटल यूनिवर्सिटी जैसी पहलें भारत को नई दिशा प्रदान कर रही हैं। हालाँकि, डिजिटल डिवाइड, शिक्षक-प्रशिक्षण की कमी, मातृभाषा-आधारित शिक्षा की व्यवहारिक कठिनाइयाँ और वित्तीय संसाधनों की कमी जैसी चुनौतियाँ भी सामने हैं। वैश्विक स्तर पर NEP 2020 का संबंध संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG-4) से है, जो सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण और समान शिक्षा सुनिश्चित करने पर बल देता है। भविष्य में यह नीति तकनीकी एवं AI आधारित शिक्षा, अनुसंधान संस्कृति, समान अवसर और रोजगारोन्मुखी शिक्षा के माध्यम से भारत को विश्व-शिक्षा के केंद्र में स्थापित कर सकती है। इस शोध-पत्र का उद्देश्य NEP 2020 की विशेषताओं, वर्तमान उपलब्धियों, चुनौतियों और वैश्विक परिप्रेक्ष्य का विश्लेषण करना है ताकि शिक्षा की वर्तमान प्रासंगिकता और भविष्य की दिशा पर स्पष्ट दृष्टिकोण प्रस्तुत किया जा सके।

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