तंत्रवाद एवं मिथिला संस्कृति: एक समीक्षा

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कल्पना कुमारी

Abstract

मिथिला बिहार राज्य प्रान्त का वह भू-भाग है जो गंगा नदी के उत्तर तथा भोजपुरी क्षेत्र के पूर्व में है तथा नेवारी नेपाल के दक्षिण में तथा बंगला प्रदेश के पश्चिम में है। इसका प्राचीन नाम विदेह था, क्योंकि यहाँ के प्राचीन राजवंश का यही नाम था। साहित्यिक आधार पर मिथिला की धार्मिक स्थिति वैदिक ग्रन्थ, ब्राह्मण ग्रन्थ, उपनिषद्, रामायण, महाभारत, पुराण, मनुस्मृति, बौद्ध साहित्य आदि से पता चलता है। मिथिला अंचल अपने शुद्धाचार, वैभव, न्यायप्रियता, आध्यात्मिक क्रियाकलाप एवं दयाशीलता के कारण भारतीय सांस्कृतिक लोकजीवन का सदियों से अभिन्न अंग रहा है। शुद्धाचार एवं सात्विकता की खुशबू से महकता है तथा यहां का वातावरण मिथिलावासी के लोकजीवन में प्रयुक्त की जाने वाली वैदिक ऋचाओं, मंत्रों एवं लोकगीतों के स्वरों से गूंजता हैं । इस कारण यह क्षेत्र आध्यात्मिक विचारधाराओं, साहित्यिक एवं दार्शनिक क्रियाकलापों तथा कलात्मक अभिव्यक्तियों का अनेक वर्षों तक केन्द्र रहा है। यहां का लेकजीवन अपने आप में आदर्श हैं। अनेक वर्षों तक इस भू-भाग में कला एवं संस्कृति के निरन्तर विकास होने के कारण इस क्षेत्र का प्रत्येक कण भारतीय संस्कृति का संवाहक बना हुआ है। 

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