राजीव गांधी किसान न्याय योजना के गोठान परियोजना के माध्यम से बंजर भूमि की उत्पादकता और ग्रामीण संसाधन सुधार का अध्ययन
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Abstract
छत्तीसगढ़ सरकार की गोठान परियोजना राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने का एक अभिनव प्रयास है। यह परियोजना न केवल पशुधन संरक्षण का केंद्र है, बल्कि बंजर भूमि के समुचित उपयोग, जल संरक्षण, चारा विकास तथा पर्यावरणीय सुधार का भी प्रभावी माध्यम बन चुकी है। ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षों से उपेक्षित पड़ी बंजर भूमि को गोठान योजना के तहत पशुपालन, वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन, बायो-गैस निर्माण और जैविक खेती जैसे कार्यों में प्रयुक्त किया जा रहा है। इससे भूमि की उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है तथा मिट्टी की उर्वरता और हरियाली में सुधार देखा गया है। इस शोध-पत्र का उद्देश्य गोठानों के माध्यम से बंजर भूमि के उत्पादक उपयोग, जल एवं चारा विकास, पर्यावरणीय स्थिरता और ग्रामीण संसाधन प्रबंधन पर इसके प्रभाव का विश्लेषण करना है। अध्ययन से यह पाया गया कि गोठानों ने न केवल बंजर भूमि को उपयोग में लाकर उसे कृषि योग्य बनाया है, बल्कि पशु चारा की उपलब्धता, जल संरक्षण, मिट्टी सुधार और सामुदायिक सहभागिता को भी प्रोत्साहित किया है। इस परियोजना ने ग्रामीण पर्यावरण और संसाधनों को सशक्त करते हुए सतत विकास (Sustainable Development) की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए हैं।